चौरागढ़ का जौहर/ रानी दुर्गावती / मंत्री दीवान आधार सिंह कायस्थ
अकबर के मंत्री आसफ खां द्वारा जब रानी दुर्गावती के राज्य पर हमला हुआ और रानी के सैनिक युद्ध छोड़कर भागने लगे यहाँ रानी दुर्गावती ने महसूस किया की मुग़ल सैनिक उन्हें मरना नहीं अपितु जीवित पकड़ना चाहते है तो उन्होंने ने अपने स्वाभिमान की रक्षा हेतु अपने ही खंजर से अपनी हत्या कर ली और जीवित मुगलों के हाथ ना लगी उस समय अकबर ऐसी रानियों को जिन्दा पकड़ा कर अपने बनाये हरम में कैद कर देता था उन कैद महिलाओ के साथ मुग़ल सैनिक प्रमोद दिवस मानते थे ।
राज कुमार वीर सिंह की रक्षा में लगे हुए रानी के परम हितैषी व् महान कूटनीतितज्ञ व् मंत्री आधार सिंह कायस्थ ने महिलाओ की इज्जत बचाने हेतु जौहर करने का आदेश दे दिया । क्यों की मुग़ल लुटेरे के साथ साथ व्यभिचारी भी थे । संभवतः मुग़ल काल में अपनी आन की रक्षा हेतु हिन्दू स्त्रियाँ जौहर करने लगी ।
जौहर का प्रबंध करने के लिए भोज कायस्थ व् मिया रूमी को नियुक्त किया गया । ये दोनों स्वामिभक्त महिलाओ के मर्यादा के रक्षक थे । इन्होने यह कार्य पूरा किया । कमजोर इक्षा शक्ति या भय वश जो स्त्री पीछे हट जाती थी प्रथा के नियमानुसार उसका निरीक्षक भोज कायस्थ द्वरा वध कर दिया जाता था । चौरागढ़ में जोरदार जौहर हुआ रानी की सेना में अफगान भी थे जौहर में हिन्दू स्त्रियों के साथ उन्होंने भी अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली ।